Wednesday, July 3, 2019

समर्पण

डॉ.कविता भट्ट

आजीवन पिया को समर्थन लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी ।


निज आलिंगन से जिसने जीवन  सँवारा

प्रेम से तृप्त करके अतृप्त मन को दुलारा ।


उसे आशाओं स्वप्नों का दर्पण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी 


प्रणय -निवेदन उसका था वो हमारा

न मुखर वासना थीबस प्रेम प्यारा ।


उससे जीवन उजियार हर क्षण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण  लिखूँगी ।


न दिशा थीन दशा थी जब संघर्ष हारा

विकट-संकट से उसने हमको उस पल उबारा ।


उसमें अपनी श्रद्धा का कण-कण लिखूँगी

प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी 


कौन कहता है जग में प्रेम जल है खारा

मैंने तो मोती-सीप सागर से ही पाया ।


इस जल पे जीवन ये अर्पण लिखूँगी


प्रेम को अपना समर्पण लिखूँगी।


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