Tuesday, July 2, 2019

गहन हुआ अँधियार


डॉ.कविता भट्ट, 
1-मुक्तक
गहन हुआ अँधियार
प्रियतम मन के द्वार ।
धरो प्रेम का दीप
कर दो कुछ उपकार ।


2
नीरव मन के  द्वार 
अँसुवन की है धार।
छू  प्रेम की वीणा
झंकृत कर दो तार ॥



3-दोहा

छोटी- छोटी बात पर,
मत करना तुम रार ।
मेरे जीवन का सभी
तुम पर ही अब भार।


4-दोहा

माटी-सी इस देह के
तुम हो प्राणाधार ।
तुम्हीं आत्मा हो प्रिये !
मैं तो बस संचार ॥


-0-
[चित्र -गूग्ल से साभार ]



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