Wednesday, July 3, 2019
मन के कागज़ पर
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मेरे हाइकु
रोई नदी माँ
डॉ.कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ 1 दैवीय नहीं भयावह आपदा मानव कृत 2 धरा कुपित रुदन चहुँ ओर अम्बर क्रुद्ध 3 निष्ठुर हुए शै...
बचपन पहाड़ का
डॉ . कविता भट्ट ( हे . न . ब . गढ़वाल विश्वविद्यालय , श्रीनगर (गढ़वाल) उत्तराखंड ) ...
स्मृति तुम्हारी
डॉ.कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ 1 देश-रक्षा में सर्द- शृंगार मेरा मन तपता । 2 अबके आना प्रिय आलिंगन में भूल न जाना । 3 गर्...
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