डॉ.कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’
1
पहाड़ी नारी
पहाडी नदी -सी ही
संघर्ष करे ।
2
रुके न थके
गिर-गिर कर भी
दृढ़ प्रयास ।
3
उसका दिन
अठारह घंटे का
रातें-कराहें ।
4
पहाड़नों का
चारा पत्ती में ढला
जीवन पूरा ।
5
झुर्रियाँ उगीं
गवाह संघर्ष की
जर्जर देह।
6
बर्फ -चादर
कली– सी सिमटती
देह की शोभा ।
7
सूनी घाटी में
खनकती चूड़ियाँ
रोएँ पायल ।
8
बर्फीली हवा
पेड़ों पे कृशदेह
लटकी -झूले ।
9
सीढ़ी -से खेत
बिवाईं खून-भरी
आहें न थमें ।
10
मकाँ को घर
बनाना चाहते थे
दीवारें ढही ।
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