Sunday, June 23, 2019

मैं हूँ क्योंकि...

डॉ.कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’

मैं हूँ क्योंकि...
ज़माने के बिछाये अंगारों पर
जेठ की दुपहरी में अकेले ही
मैंने चलने का हुनर सीखा है।

मैं हूँ क्योंकि ...
वादा खिलाफी नहीं, इश्तेहारों पर
बेअदबी कीबेवफाई मेरे खूँ में नहीं
मैंने ढलने का हुनर सीखा है।

मैं हूँ क्योंकि...
दिल जलाया, रौशनी की चौबारों पर
अपना दावा यूँ ही ठोका ना कभी भी
मैंने जलने का हुनर सीखा 
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