Wednesday, June 19, 2019

हम भारतवासी सब एक हों


डॉ.कविता भट्ट ‘शैलपुत्री'


सतरंगी नव-रश्मियों से
प्राची  के  ऐसे अभिषेक हों 
आशाओं का सूरज उगे तो
निर्मल सबके बुद्धि-विवेक हों॥
द्वेष त्यागें, उत्थान करें मिल
हम भारतवासी सब एक हों ।
पात दम्भ के सभी झर जाएँ
ममता -समता सब  अतिरेक हों।
नवगीत  मधुर खग-कंठ  गाएँ 
प्रेम-सद्भाव -सुमन अनेक हों॥
भारत माँ  का  यशोगान  करें
हम भारतवासी सब एक हों ॥

क्षुधाएँ शान्त, कंठ  हों सिंचित
नव उन्मेष नवल अभिलेख हों।
'कविता' मातृभूमि-सेवा ,धर्म
 इसमें निरत  वर्ण  प्रत्येक हों ॥
नभ-दिगंत  छूने की ललक में
हम भारतवासी सब एक हों।

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